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वृंदावन कॉरिडोर: श्रद्धा, विकास और ज़मीनी सच्चाई का संगम

वृंदावन, जो भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, कृष्ण भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है। यह वह पवित्र भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीलाएँ कीं और जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु विशेष रूप से श्री बांके बिहारी जी के दर्शन हेतु आते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इतने विशाल धार्मिक महत्व के बाद भी वृंदावन की बुनियादी सुविधाएँ अब भी बेहद दयनीय अवस्था में हैं। संकरी गलियाँ, ट्रैफिक की समस्याएँ, गंदगी, पानी निकासी की कमी और बारिश के समय की दुर्दशा – ये सभी बातें एक गहरी चिंता का विषय हैं।

इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए वृंदावन कॉरिडोर परियोजना की परिकल्पना की गई, जिसका उद्देश्य केवल एक कॉरिडोर बनाना नहीं, बल्कि एक समग्र धार्मिक, सांस्कृतिक और नगरीय विकास की दिशा में कदम बढ़ाना है।‌‌वृंदावन कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य बांके बिहारी मंदिर तक श्रद्धालुओं की निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करना है। वर्तमान में मंदिर तक पहुँचने के लिए संकरी गलियों से होकर जाना पड़ता है, जहाँ भारी भीड़ और अराजकता के कारण जान-माल की सुरक्षा को खतरा बना रहता है।

कॉरिडोर निर्माण से:

श्रद्धालुओं को सुगम एवं सुरक्षित रास्ता मिलेगा
भीड़भाड़ और भगदड़ की घटनाओं से बचाव होगा
आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण और पुनर्विकास संभव होगा
स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों को लाभ होगा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस परियोजना को हरी झंडी दी है, यह निर्णय अपने आप में ऐतिहासिक है। कोर्ट ने न केवल राज्य सरकार की मंशा को उचित ठहराया बल्कि यह भी कहा कि सार्वजनिक भलाई और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है।यह फैसला उन असामाजिक तत्वों के मुँह पर करारा जवाब है जो केवल अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए इस परियोजना का विरोध कर रहे थे।परियोजना का विरोध करने वालों में मुख्यतः कुछ स्थानीय एक वर्ग के लोग हैं, जो वर्षों से वहाँ पर अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए हैं। उनका तर्क है कि यह कॉरिडोर मंदिर की पारंपरिक पहचान को नुकसान पहुँचाएगा, जबकि सच्चाई यह है कि उनके व्यक्तिगत आर्थिक हित इस परियोजना से प्रभावित हो रहे हैं।

विरोध के पीछे मुख्य कारण हैं:

अवैध संपत्ति पर सरकारी कार्रवाई का डर
व्यापार में व्यक्तिगत हानि की आशंका
राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व की हानि की चिंता
सरकार को चाहिए कि वह इन निजी स्वार्थों को दरकिनार कर, करोड़ों श्रद्धालुओं की भावना को ध्यान में रखकर इस परियोजना को तीव्र गति से आगे बढ़ाए।हर वर्ष जन्माष्टमी, होली, झूलन उत्सव जैसे पर्वों के समय लाखों श्रद्धालु वृंदावन आते हैं। वर्तमान व्यवस्था इतनी बदहाल है कि बारिश के समय गलियों में पानी भर जाता है, वृद्धजन और महिलाएँ कीचड़ में फिसलते हैं, बच्चे भीड़ में खो जाते हैं और भगदड़ जैसी घटनाएँ आम हो जाती हैं।

ऐसे में, जब सरकार एक सुव्यवस्थित, सुसज्जित और सुरक्षित कॉरिडोर बना रही है, तो करोड़ों भक्तों ने इसका स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर इस परियोजना के समर्थन में लाखों पोस्ट, वीडियो और संदेश साझा किए जा चुके हैं।

परियोजना से संभावित लाभ

धार्मिक पर्यटन में वृद्धि: कॉरिडोर बनने से वृंदावन में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

रोज़गार के अवसर: निर्माण कार्य, गाइड, सफाई कर्मचारी, फूल, प्रसाद और अन्य सेवाओं में हज़ारों लोगों को रोज़गार मिलेगा।

साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण: गंदगी और अव्यवस्था की जगह पर साफ-सुथरा, आकर्षक और भक्तों के अनुकूल वातावरण बनेगा।

ट्रैफिक प्रबंधन: मंदिर परिसर में भीड़ का बोझ कम होगा और आपातकालीन स्थितियों से बेहतर निपटने की व्यवस्था हो पाएगी।

कुछ लोगों का यह भी तर्क है कि यह परियोजना वृंदावन की सांस्कृतिक पहचान को नष्ट कर देगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि इस परियोजना में पारंपरिक शैली और वास्तुकला का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पत्थरों से सुसज्जित गलियारे, छतों पर राधा-कृष्ण की चित्रकारी, और स्थानीय कारीगरों की कला को बढ़ावा देने जैसे तत्वों को शामिल किया गया है। यह परियोजना आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम बनने जा रही है।उत्तर प्रदेश सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस परियोजना को प्राथमिकता दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में धार्मिक स्थलों का विकास हो रहा है — जैसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, केदारनाथ पुनर्निर्माण, अयोध्या राम मंदिर परिसर — उसी श्रृंखला में वृंदावन भी अब शामिल होने जा रहा है।

प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वह विरोध के बावजूद पारदर्शिता से कार्य करते हुए जनता को विश्वास में ले और कार्य में देरी न होने दे।वृंदावन कॉरिडोर कोई साधारण परियोजना नहीं है। यह श्रद्धा, सुरक्षा, सुविधा और सांस्कृतिक संरक्षण का एक संगठित प्रयास है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे निजी स्वार्थ से प्रेरित हैं और उन्हें करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, सुरक्षा और सुविधा के मुकाबले तवज्जो नहीं दी जा सकती।

यह परियोजना आने वाले वर्षों में वृंदावन को वैश्विक धार्मिक मानचित्र पर नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएगी और हर भक्त को शांति और श्रद्धा के साथ अपने आराध्य के दर्शन करने का अवसर मिलेगा।

सरकार को चाहिए कि इस परियोजना को बिना किसी राजनीतिक या सामाजिक दबाव के, पूरी पारदर्शिता के साथ शीघ्रता से पूरा करे।

एसोसिएट एडीटर‌ :- ‌राजेश कोछड़

लोक नायक संवाद

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