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सीआरआर में कटौती के फैसले से जानकार भी चौंके, नीतिगत रुख को उदार से तटस्थ करने के क्या मायने

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से काफी साहसिक कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में 50 आधार अंकों की कटौती की गई है। दूसरी ओर, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 100 आधार अंकों की कटौती करके इसे 3 प्रतिशत करने का फैसला और चौंकाने वाला है। एमपीसी के फैसलों पर जानकारों की राय क्या है, आइए जानते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बार एमपीसी की बैठक में काफी साहसिक कदम उठाए है। बाजार के विश्लेषकों के अनुसार, रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की गई है, जबकि बाजार को महज 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद थी। दूसरी ओर, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी 100 आधार अंकों की कटौती करके इसे 3 प्रतिशत करने का चौंकाने वाला फैसला लिया गया है। इससे बैंकिंग प्रणाली में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी बढ़ने की उम्मीद है।

जानकारों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से भविष्य में दरों में कटौती का फैसला आने वाले समय में अर्थव्यवस्था के अहम आंकड़ों पर निर्भर करेगा। इसके साथ ही वैश्विक परिस्थितियां भी इसमें भूमिका निभाएंगी।

सैमको सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड मार्केट प्रासपेटिक अपूर्व सेठ कहते हैं गवर्नर संजय महल्होत्रा ने साहिसक कदम उठाते हुए गवर्नर ने आक्रामक रुख अपनाया और रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती की।

इसके साथ ही सीआरआर में भी 100 आधार अंकों की कटौती की गई है। इससे बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 ट्रिलियन नकदी आएगी। सीआरआर में घोषित कटौती 25-25 आधार अंकों के साथ चार चरणों में लागू की जाएगी। यह 6 सितंबर, 4 अक्तूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह से शुरू होगी।

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