देश-विदेश

अवैध भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर ट्रंप से सीधे न टकराने की क्या है मोदी सरकार की रणनीति

अमेरिकी सेना का एक विमान अमेरिका में बिना वैध दस्तावेज़ों रह रहे 100 से अधिक भारतीयों को लेकर बुधवार को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा सत्ता संभालने के बाद अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय प्रवासियों के निष्कासन की यह पहली खेप है.

पहले कार्यकाल में ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती के ख़ासे चर्चे थे और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देश में जाकर सार्वजनिक सभाओं में हिस्सा लिया और एक-दूसरे का समर्थन किया.

पांच साल पहले सितंबर 2019 में अमेरिका के ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के दौरान ट्रंप की मौजूदगी में पीएम मोदी ने कहा था, ‘अबकी बार ट्रंप सरकार.’ इसके अगले साल ही अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले थे.

इसके अगले साल ही फ़रवरी 2020 में अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें ट्रंप शामिल हुए.

ट्रंप 2.0 के कार्यकाल में दोस्ती का वह समीकरण अभी तक नहीं दिखा है और अवैध प्रवासियों के मामले में ट्रंप प्रशासन का भारत के साथ रवैया अन्य देशों की तरह ही है.

हालांकि पीएम मोदी के राष्ट्रपति ट्रंप से इसी महीने मुलाक़ात की बातें कही जा रही हैं और दोनों नेताओं के रिश्तों में फिर से गर्मजोशी की उम्मीद की जा रही है.

इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा, “निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, यह कई वर्षों से चली आ रही है. यह केवल एक देश पर लागू होने वाली नीति नहीं है.”

भारत और अमेरिका के रिश्तों पर नज़र रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस मुद्दे पर भारत की प्रतिक्रिया सधी रही है.

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